Kumar Garurav: बॉलीवुड एक्टर कुमार गौरव की कहानी किसी फिल्मी स्क्रिप्ट से कम नहीं लगती। एक दौर था जब उन्होंने अपनी पहली ही फिल्म से लोगों के दिलों में जगह बना ली थी, लेकिन वक्त के साथ वो चमक फीकी पड़ गई, जो कभी स्क्रीन पर हर दिल की धड़कन बन कर नजर आती थी।
1981 में जब ‘लव स्टोरी’ रिलीज हुई, तब शायद ही किसी ने सोचा हो कि ये नया चेहरा रातोंरात सुपरस्टार बन जाएगा। लोगों ने कुमार गौरव को सिर आंखों पर बिठा लिया।
उनका स्टाइल, मासूमियत और रोमांटिक अंदाज लड़कियों के बीच जबरदस्त हिट हो गया। हर कोई उनकी अगली फिल्म का इंतजार करने लगा, लेकिन बॉलीवुड की दुनिया जितनी जल्दी किसी को ऊंचाई पर पहुंचाती है, उतनी ही तेजी से नीचे भी ला सकती है। कुमार गौरव की अगली कुछ फिल्में बॉक्स ऑफिस पर वैसा कमाल नहीं कर सकीं। धीरे-धीरे वो चमक जो ‘लव स्टोरी’ के बाद नजर आई थी, मद्धम पड़ने लगी।

लव स्टोरी से मिली थी अभिनेता को पहचान
साल 1980 के दौर में जब बॉलीवुड में रोमांस का जलवा था, तभी एक फिल्म आई जिसने यंग जेनरेशन के दिलों में तहलका मचा दिया नाम था ‘लव स्टोरी’। राहुल रवैल की इस फिल्म ने जैसे एक नई लव-वाइब क्रिएट कर दी थी। इस फिल्म में कुमार गौरव और विजयता पंडित की फ्रेश जोड़ी ने सबका दिल जीत लिया था।
कुमार गौरव की स्माइल, उनकी मासूमियत और नैचुरल एक्टिंग ने ऐसा असर डाला कि वो रातोंरात सुपरस्टार बन गए। वैसे गौरव सिर्फ एक्टिंग टैलेंट से नहीं, बल्कि फिल्मी बैकग्राउंड से भी आते थे उनके पापा राजेंद्र कुमार अपने टाइम के सुपरहिट एक्टर और प्रोड्यूसर थे।
‘लव स्टोरी’ बॉक्स ऑफिस पर धमाल मचाने में कामयाब रही और फिल्म ने कुमार गौरव को यूथ आइकन बना दिया। उनकी सिंपलनेस और ऑन-स्क्रीन ईज ने उन्हें उस दौर का फेवरेट बना दिया था। फिल्म के बाद उनके पास फिल्मों के ऑफर की जैसे लाइन लग गई थी।

उनकी अगली फिल्म ‘तेरी कसम’ (1982) में भी उन्होंने अच्छा परफॉर्म किया, लेकिन वो ‘लव स्टोरी’ जैसी हिट नहीं बन पाई। फिर आए ‘लवर्स’, ‘फूल’ और ‘नाम’ जैसी फिल्में, जिनमें गौरव ने दिखा दिया कि वो सिर्फ एक स्टार किड नहीं, बल्कि एक वर्सेटाइल एक्टर भी हैं।
खासकर ‘नाम’ (1986) में उनका किरदार काफी स्ट्रॉन्ग था। संजय दत्त जैसे बड़े नाम के साथ स्क्रीन शेयर करते हुए भी गौरव की परफॉर्मेंस चमकी और क्रिटिक्स से भी तारीफें मिलीं।
अहंकार के कारण डूब गया करियर
जब फिल्म ‘लव स्टोरी’ रिलीज हुई थी, तब हर जगह बस एक ही नाम गूंज रहा था कुमार गौरव। यंग ऑडियंस के बीच वो इतने पॉपुलर हो गए थे कि हर फिल्ममेकर उन्हें अपनी फिल्म में लेना चाहता था। लेकिन कहते हैं ना, ज्यादा शोहरत कभी-कभी इंसान को बदल देती है।
कुछ मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, स्टारडम का असर गौरव पर साफ दिखने लगा था। कहा गया कि उन्होंने कुछ जूनियर एक्ट्रेसेज के साथ काम करने से मना कर दिया था, जो इंडस्ट्री में अहंकार की निशानी मानी जाती है। धीरे-धीरे यही रवैया उनके करियर के लिए भारी पड़ने लगा।

कई फिल्में साइन करने के बाद या तो अटक गईं या बॉक्स ऑफिस पर फ्लॉप रहीं। उनके पिता, वेटरन एक्टर राजेंद्र कुमार ने बेटे के करियर को फिर से पटरी पर लाने की कोशिश की। साल 1993 में उन्होंने फिल्म ‘फूल’ बनाई, जिसमें गौरव को लीड रोल दिया गया। लेकिन अफसोस, ये फिल्म भी दर्शकों को थिएटर तक खींचने में नाकाम रही।
इसके बाद गौरव ने कुछ समय के लिए इंडस्ट्री से दूरी बना ली। 1996 में वो ‘मुट्ठी भर जमीन’ और ‘सौतेला भाई’ जैसी फिल्मों में नजर आए, लेकिन वो भी दर्शकों को ज़्यादा इंप्रेस नहीं कर सकीं। उनकी आखिरी बड़ी फिल्म ‘कांटे’ (2002) थी, जिसमें उन्होंने अमिताभ बच्चन और संजय दत्त जैसे दिग्गजों के साथ स्क्रीन शेयर की।
हालांकि, तब तक उनका एक्टिंग करियर लगभग खत्म हो चुका था। आज कुमार गौरव ग्लैमर और लाइमलाइट से दूर, अपने परिवार के साथ एक शांत और सिंपल जिंदगी जी रहे हैं।