Raj Babbar: राज बब्बर के 72वें जन्मदिन पर जानिए उनके एक्टिंग से लेकर राजनीति तक का सफर, खलनायक से कैसे हीरो बनें अभिनेता

Raj Babbar

बॉलीवुड इंडस्ट्री के बेहतरीन अभिनेता राज बब्बर आज के समय में किसी पहचान के मोहताज नहीं हैं। 23 जून 1952 को उत्तर प्रदेश के टुंडला में जन्मे राज बब्बर आज अपना 72वां बर्थडे मना रहे हैं। राज बब्बर की लाइफ किसी फिल्म की कहानी से कम नहीं रही। उन्होंने एक्टिंग की दुनिया में खलनायक से लेकर हीरो तक हर रोल को बखूबी निभाया।

सिर्फ फिल्मों में ही नहीं, उन्होंने राजनीति में भी अपनी एक अलग पहचान बनाई। राज बब्बर को बचपन से ही स्टेज पर एक्टिंग करने का शौक था। उन्होंने अपने इस टैलेंट को आगे बढ़ाने के लिए नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा (NSD) में दाखिला लिया। वहां से एक्टिंग की बारीकियां सीखने के बाद उन्होंने बॉलीवुड में कदम रखा।

उनकी जिंदगी में कई उतार-चढ़ाव आए, कई बार विवादों में भी रहे, लेकिन उन्होंने हर मोड़ पर खुद को साबित किया। आज वो सिर्फ एक एक्टर ही नहीं बल्कि एक पॉलिटिशियन के तौर पर भी जाने जाते हैं। उनकी जर्नी में मेहनत, संघर्ष और कामयाबी की पूरी कहानी छुपी है।

ऐसे शुरू हुआ था अभिनेता का फिल्मी करियर

राज बब्बर का फिल्मी करियर बड़ा दिलचस्प रहा है। उन्होंने 1977 में अपने करियर की शुरुआत की थी, जब उनकी पहली फिल्म ‘किस्सा कुर्सी का’ रिलीज हुई। हालांकि ये फिल्म उतनी बड़ी हिट नहीं रही, लेकिन इसी साल उन्हें वो मौका मिला जिसने उन्हें फिल्म इंडस्ट्री में पहचान दिलाई।

राज बब्बर को असली पहचान मिली बी।आर। चोपड़ा की चर्चित फिल्म ‘इंसाफ का तराजू’ से। इस फिल्म में उन्होंने एक नकारात्मक किरदार निभाया था, जो दर्शकों के दिलों पर ऐसी छाप छोड़ गया कि लोग उन्हें लंबे समय तक उस रोल के लिए याद करते रहे। उनकी एक्टिंग इतनी दमदार थी कि वो एक ही फिल्म से रातोंरात सुर्खियों में आ गए।

इसके बाद राज बब्बर ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। 1980 के दशक में उन्होंने लगातार कई शानदार फिल्में कीं, जिनमें वो कभी रोमांटिक हीरो तो कभी संजीदा कलाकार के तौर पर नजर आए। ‘प्रेम गीत’, ‘निकाह’, ‘उमराव जान’, ‘आज की आवाज’ और ‘अगर तुम ना होते’ जैसी फिल्मों ने उनकी versatility को साबित कर दिया। इन फिल्मों की वजह से राज बब्बर को इंडस्ट्री में एक ऐसे अभिनेता के रूप में पहचाना जाने लगा जो रोमांस, इमोशन और गंभीर किरदारों में जान फूंक देता है।

इंडस्ट्री को दिये यादगार किरदार

साल 1981 में आई क्लासिक फिल्म उमराव जान में उनका ‘फैज अली’ वाला रोल आज भी लोग याद करते हैं। उस फिल्म में उन्होंने अपनी सादगी और दमदार डायलॉग डिलीवरी से लोगों का दिल जीत लिया था। इसके बाद 1990 में सनी देओल की सुपरहिट फिल्म घायल आई।

इसमें राज बब्बर ने बड़े भाई की भूमिका निभाई थी, जो बहुत इमोशनल और सशक्त थी। इस रोल के जरिए उन्होंने फिर दिखा दिया कि वो कितनी versatility रखते हैं। इसके अलावा बॉडीगार्ड, साहब बीवी और गैंगस्टर 2 और बुलेट राजा जैसी फिल्मों में भी उनके रोल्स काफी पावरफुल रहे।

इन फिल्मों में उन्होंने साबित किया कि चाहे निगेटिव रोल हो या कोई इंटेंस कैरेक्टर, वो हर तरह के किरदार में पूरी तरह फिट बैठ सकते हैं। राज बब्बर की फिल्मोग्राफी में ऐसी कई फिल्में शामिल हैं जिन्होंने उनके दमदार अभिनय को लोगों तक पहुंचाया है।

उन्होंने ‘रुदाली’, ‘मजदूर’, ‘जख्मी औरत’, ‘वारिस’, ‘संसार’, ‘पूनम’, ‘याराना’, ‘जीवन धारा’, ‘झूठी’ और ‘तेवर’ जैसी फिल्मों में अपने किरदारों को इतने असरदार तरीके से निभाया कि लोग आज भी उन्हें याद करते हैं।

स्मिता पाटिल संग रचाई शादी

राज बब्बर के पर्सनल लाइफ की बात करें तो साल 1975 में अभिनेता ने थिएटर आर्टिस्ट नादिरा जहीर से शादी की थी। इस शादी से उनके दो बच्चे हुए, बेटी जूही बब्बर और बेटा आर्य बब्बर। सब कुछ ठीक चल रहा था, लेकिन किस्मत ने एक नया मोड़ लाकर खड़ा कर दिया।

1982 में फिल्म ‘भीगी पलकें’ की शूटिंग के दौरान राज बब्बर की मुलाकात मशहूर एक्ट्रेस स्मिता पाटिल से हुई। कहते हैं न, कुछ रिश्ते बनने के लिए ही होते हैं। दोनों के बीच नजदीकियां बढ़ीं और धीरे-धीरे यह रिश्ता प्यार में बदल गया। उस वक्त यह खबर काफी सुर्खियों में रही क्योंकि राज पहले से शादीशुदा थे।

फिर भी, दोनों ने अपने रिश्ते को समाज के सामने स्वीकार किया। साल 1983 में राज और स्मिता ने शादी कर ली। उनकी जिंदगी में खुशियों ने दस्तक दी जब 1986 में उनके बेटे प्रतीक बब्बर का जन्म हुआ। लेकिन खुशियां ज्यादा वक्त तक टिक नहीं पाईं।

प्रतीक के जन्म के कुछ ही दिनों बाद स्मिता पाटिल का अचानक निधन हो गया। ये पल राज बब्बर के लिए किसी बड़े सदमे से कम नहीं था। उस वक्त उनके परिवार में भी हालात काफी तनावपूर्ण हो गए थे। बाद में राज वापस नादिरा जहीर के पास लौट आए और परिवार को फिर से जोड़ा।

बात करें प्रतीक बब्बर की, तो उन्होंने भी अपनी जिंदगी में नया अध्याय शुरू किया। हाल ही में प्रतीक ने शादी की, लेकिन इस शादी में उन्होंने अपने पिता राज बब्बर को आमंत्रित नहीं किया। इसकी वजह भी प्रतीक ने साफ बताई।

उनका कहना था कि शादी स्मिता पाटिल के घर पर हो रही थी और नादिरा व स्मिता के बीच के रिश्तों को ध्यान में रखते हुए उन्होंने यह फैसला लिया। हालांकि, प्रतीक ने यह भी कहा कि उनके और राज बब्बर के बीच किसी तरह का कोई पर्सनल मनमुटाव नहीं है। दोनों के बीच रिश्ते सामान्य हैं, बस परिस्थितियों की वजह से ऐसा करना पड़ा।

राजनीति में कमाया नाम

बता दें कि राज बब्बर का राजनीतिक सफर भी किसी फिल्मी कहानी से कम नहीं रहा। फिल्मों में नाम कमाने के बाद उन्होंने 1989 में राजनीति में एंट्री ली। उस वक्त उन्होंने जनता दल के साथ अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत की थी। इसके बाद उन्होंने समाजवादी पार्टी जॉइन की और 1994 में आगरा से लोकसभा चुनाव जीतकर संसद पहुंचे।

इसके बाद भी उनका जीत का सिलसिला जारी रहा। साल 1999 और 2004 में उन्होंने फिरोजाबाद से लोकसभा सीट अपने नाम की। 2008 में राज बब्बर ने कांग्रेस पार्टी का दामन थाम लिया। हालांकि 2009 में फिरोजाबाद से उन्हें हार का सामना करना पड़ा। वो उत्तर प्रदेश में कांग्रेस पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष भी रहे हैं।

2024 के लोकसभा चुनाव में भी उन्होंने गुरुग्राम सीट से कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ा था, लेकिन इस बार भी जीत उनके हाथ नहीं लगी। अगर उनके परिवार की बात करें तो राज बब्बर की बेटी जूही बब्बर और बेटा आर्य बब्बर भी फिल्मों में किस्मत आजमा चुके हैं। हालांकि, उन्हें अपने पेरेंट्स जितनी बड़ी पहचान नहीं मिल पाई।

जूही ने ‘रिफ्लेक्शन’, ‘अय्यारी’ और ‘फराज’ जैसी फिल्मों में छोटे रोल किए, जबकि आर्य की डेब्यू फिल्म ‘अब के बरस’ बॉक्स ऑफिस पर फ्लॉप रही।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *