मंदिरा बेदी का नाम जब भी लिया जाता है, तो लोगों के जहन में एक बोल्ड, स्मार्ट और फिटनेस से भरपूर पर्सनालिटी की छवि उभरती है। लेकिन बहुत कम लोग जानते हैं कि उन्होंने उस दौर में कुछ ऐसा किया जो पहले किसी भी महिला ने नहीं किया था मंदिरा बेदी क्रिकेट होस्ट करने वाली पहली भारतीय महिला बनीं।
ये सिर्फ उनके करियर का नहीं, बल्कि पूरे स्पोर्ट्स वर्ल्ड का भी एक ऐतिहासिक पल था। उन्होंने 2003 वर्ल्ड कप के दौरान क्रिकेट कमेंट्री शुरू की और अपने स्टाइलिश अंदाज और तेज-तर्रार सवालों से सबका ध्यान खींचा। लेकिन जितना ज़ोरदार उनका डेब्यू था, उतनी ही मुश्किलें भी उन्हें झेलनी पड़ीं।
मंदिरा ने खुद एक इंटरव्यू में बताया था कि कैसे पुरुषों से भरे कमेंट्री पैनल में उन्हें बार-बार इग्नोर किया गया। जब वो कोई सवाल पूछतीं, तो कुछ लोग उन्हें ऐसे घूरते जैसे उन्हें वहां होना ही नहीं चाहिए। कई बार उन्हें जवाब भी नहीं मिलता था, जैसे उनकी कोई अहमियत ही ना हो। उस वक्त सोशल मीडिया पर ट्रोल्स भी पीछे नहीं रहे।
सिर्फ इसलिए कि एक महिला क्रिकेट पर बोल रही थी, लोग उनकी कपड़ों से लेकर बोलने के तरीके तक, हर चीज पर तंज कसते थे। लेकिन मंदिरा ने हार नहीं मानी। उन्होंने अपनी मेहनत, प्रोफेशनलिज्म और आत्मविश्वास से ये साबित कर दिया कि एक महिला भी क्रिकेट जैसे पुरुष-प्रधान खेल की समझ रख सकती है और बेबाकी से उस पर अपनी राय भी रख सकती है।
आज मंदिरा बेदी ना सिर्फ एक्ट्रेस या फिटनेस आइकॉन के तौर पर जानी जाती हैं, बल्कि उन्होंने वो रास्ता भी खोला है जिससे अब कई महिलाएं खेल पत्रकारिता में कदम रखने से नहीं झिझकतीं।

टीवी की दुनिया में बनाई पहचान
जब मंदिरा ने लाइव टीवी की दुनिया में कदम रखा, तो उनका एक्सपीरियंस काफी तकलीफदेह रहा। उन्हें ऐसा लगता था जैसे वो वहां मौजूद ही नहीं हैं, जैसे उनकी मौजूदगी को कोई महसूस ही नहीं कर रहा। कई बार उन्हें अपमानित भी होना पड़ा, जो उनके लिए भावनात्मक रूप से बहुत भारी रहा। लेकिन सबसे खास बात ये थी कि मंदिरा ने कभी हार नहीं मानी।
उन्होंने इन चुनौतियों को अपना हौसला बनाया और हर मुश्किल से लड़ते हुए खुद को साबित किया। धीरे-धीरे उन्होंने अपनी मेहनत, आत्मविश्वास और काबिलियत से लाइव टीवी की दुनिया में एक खास जगह बना ली। आज उन्हें एक मजबूत और प्रोफेशनल एंकर के तौर पर पहचाना जाता है, जो अपनी बात बेझिझक और दमदारी से रखती हैं।

ट्रोलिंग का करना पड़ा था सामना
मंदिरा बेदी ने एक इंटरव्यू में खुलासा किया कि उनके करियर के शुरुआती दौर में उन्हें काफी ट्रोलिंग का सामना करना पड़ा था। उस समय सोशल मीडिया इतना एक्टिव नहीं था, लेकिन फिर भी उन्हें काफी निगेटिव रिएक्शन मिलते थे।
मंदिरा ने बताया कि कई लोग उनके साथ पर्सनल लेवल पर अच्छा व्यवहार नहीं करते थे। लेकिन जैसे ही कैमरा ऑन होता, सबको मजबूरी में अच्छा दिखाना पड़ता था। ये दोहरा रवैया उनके लिए काफी चौंकाने वाला था। चैनल वालों ने भी उन्हें ये सलाह दी थी कि वो इंटरनेट पर होने वाले कॉमेंट्स और फीडबैक से दूरी बनाए रखें।
क्योंकि उस समय भी लोग उनके कपड़ों, स्टाइल और क्रिकेट से जुड़े उनके रोल को लेकर काफी बातें करते थे। ये वो दौर था जब महिला एंकर्स को खास तौर पर ज्यादा जज किया जाता था। आज भले ही सोशल मीडिया पर हर किसी की आवाज सुनी जाती है, लेकिन मंदिरा उस समय भी अपने काम को लेकर पूरी तरह से समर्पित थीं और उन्होंने नेगेटिविटी को अपने ऊपर हावी नहीं होने दिया।

बिम्बो और डमी कहके बुलाते थे लोग
जब शुरुआत में लोग उनकी आलोचना करते थे, तो ये बातें उन्हें बहुत बुरी लगती थीं। लेकिन जैसे-जैसे एक्ट्रेस का आत्मविश्वास बढ़ा और उन्होंने अपने काम में perfection हासिल कर लिया, उन्होंने खुद जाकर देखा कि लोग उनके बारे में क्या कह रहे हैं।
एक्ट्रेस ने बताया कि लोग उन्हें बिम्बो और डमी जैसे शब्दों से बुलाते थे, जो सुनकर उन्हें बहुत दुख होता था।
ये बातें उनके दिल को काफी चोट पहुंचाती थीं। मगर उन्होंने हार नहीं मानी। खुद को संभाला और ठान लिया कि चाहे कुछ भी हो जाए, वो पूरा टूर्नामेंट खत्म करके ही रहेंगी।