International Mother Language Day 2025 Theme : हमारी मातृभाषा सिर्फ एक भाषा नहीं, बल्कि हमारी पहचान, संस्कृति और भावनाओं का जरिया होती है। क्या आपने कभी सोचा है कि अगर आपकी मातृभाषा धीरे-धीरे खत्म हो जाए, तो क्या होगा? हमारी मातृभाषा के बिना हमारा वजूद हीं अधूरा है। ऐसे में इसी मातृभाषा को बचाने और इसे बढ़ावा देने के लिए हर साल दुनियाभर में 21 फरवरी को ‘अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस’ (International Mother Language Day) मनाया जाता है।
इस दिन का उद्देश्य खासतौर पर भाषा की विविधता को संरक्षित करने, बहुभाषावाद को प्रोत्साहित करने और सांस्कृतिक पहचान को बनाए रखना है। ऐसे में इस खास दिन पर हमें भी अपनी मातृभाषा के संरक्षण के लिए अहम कदम उठाने चाहिए। बता दें कि ‘अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस’ (International Mother Language Day 2025 Theme) की शुरुआत यूनेस्को (UNESCO) ने 1999 में की थी, जो बांग्लादेशी भाषा आंदोलन के संघर्ष को सम्मान देने के लिए हुआ था।
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Why International Mother Language Day Is Celebrated?
गौरतलब है कि हर इंसान की मातृभाषा उसके बचपन का सबसे पहला सीखने का जरिया होती है, लेकिन आज दुनिया में कई भाषाएं धीरे-धीरे खत्म हो रही हैं। यूनेस्को के डाटा के अनुसार, विश्व की लगभग 40% भाषाएं विलुप्त होने के कगार पर हैं। जाहिर तौर पर जब कोई भाषा खत्म होती है, तो उसके साथ उसकी संस्कृति और परंपराएं भी खो जाती हैं।
ऐसे में ‘अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस’ भाषाओं के संरक्षित करने के हीं उद्देश्य से बनाया गया एक वैश्विक दिवस है, जो हमें अपने और बाकी हर मातृभाषा के महत्व को समझने और उन्हें संरक्षित करने के लिए प्रेरित करता है।
इस दिन का मुख्य उद्देश्य है:
- मातृभाषाओं को संरक्षित करना और उन्हें बढ़ावा देना।
- बहुभाषावाद को बढ़ावा देना ताकि लोग एक से अधिक भाषाएं सीखने के प्रति प्रेरित हों।
- भाषा के माध्यम से सांस्कृतिक और सामाजिक जुड़ाव को मजबूत करना।
बांग्लादेशी भाषा आंदोलन और इसकी अहमियत
आपको बता दें कि ‘अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस’ (International Mother Language Day 2025 Theme) बांग्लादेश (पहले – पूर्वी पाकिस्तान) के उन छात्रों की याद में मनाया जाता है, जिन्होंने 1952 में अपनी मातृभाषा ‘बंगाली’ को आधिकारिक भाषा बनाने की मांग की थी। इस संघर्ष में कई छात्रों की जान चली गई थी, लेकिन उनकी कुर्बानी के बाद आखिरकार बंगाली को बांग्लादेश की आधिकारिक भाषा का दर्जा मिला। इस घटना ने पूरी दुनिया को यह सोचने पर मजबूर कर दिया कि हर भाषा का सम्मान और संरक्षण जरूरी है।
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International Mother Language Day 2025 Theme
बता दें कि हर साल ‘अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस’ (International Mother Language Day 2025 Theme) को एक नए विषय (थीम) के साथ मनाया जाता है, जो भाषा संरक्षण से जुड़े किसी महत्वपूर्ण पहलू को उजागर करता है। ऐसे में साल 2025 के लिए ‘अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस’ की थीम है “अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस का रजत जयंती समारोह”। इस थीम का मुख्य उद्देश्य शिक्षा और समाज में भाषा की भूमिका को मजबूत करना और यह सुनिश्चित करना है कि कोई भी व्यक्ति भाषा की बाधाओं के कारण पीछे न छूटे।
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भारत में भाषाओं का संरक्षण और सरकारी पहल
भारत में 22 आधिकारिक भाषाएं हैं, और यहां सैकड़ों क्षेत्रीय भाषाएं और बोलियां बोली जाती हैं। अपनी भाषाई विविधता को संरक्षित करने के लिए भारत सरकार ने कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं:
- संविधान की 8वीं अनुसूची : इसमें 22 भाषाओं को मान्यता दी गई है, जिससे उनका संरक्षण और विकास सुनिश्चित हो सके।
- राजभाषा नीति : सरकारी कामकाज के लिए हिंदी और अंग्रेजी का उपयोग अनिवार्य किया गया है, लेकिन राज्यों को अपनी क्षेत्रीय भाषा को भी प्राथमिकता देने का अधिकार है।
- भाषा विकास कार्यक्रम : भारत सरकार ने राष्ट्रीय अनुवाद मिशन और केंद्रीय भारतीय भाषा संस्थान जैसी पहल शुरू की हैं, ताकि विभिन्न भाषाओं को संरक्षित किया जा सके।
- शिक्षा में मातृभाषा का प्रयोग : सरकार अब प्राथमिक स्तर की शिक्षा को मातृभाषा में देने पर जोर दे रही है, ताकि बच्चों को सीखने में आसानी हो।
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What We Can Do?
मातृभाषा के संरक्षण के लिए सिर्फ सरकार को ही नहीं, बल्कि हमें भी अआगे आना होगा। इसके लिए हम कई तरीके से योगदान कर सकते हैं:
- अपनी मातृभाषा में किताबें पढ़ें और लिखें।
- नई पीढ़ी को अपनी भाषा बोलने और सीखने के लिए प्रेरित करें।
- सोशल मीडिया और डिजिटल प्लेटफॉर्म पर अपनी भाषा में कंटेंट साझा करें।
- अपनी क्षेत्रीय और मातृभाषा की कक्षाओं को बढ़ावा दें।
International Mother Language Day Importance
‘अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस’ (International Mother Language Day 2025 Theme) सिर्फ एक दिवस नहीं, बल्कि एक जागरूकता अभियान है, जो हमें अपनी भाषा, संस्कृति और पहचान को बचाने की प्रेरणा देता है। भाषाओं के संरक्षण से ही हम अपनी सांस्कृतिक धरोहर को संजो सकते हैं और आने वाली पीढ़ियों को अपनी जड़ों से जोड़ सकते हैं। तो आइए, इस दिन अपनी मातृभाषा के महत्व को पहचानें और इसे संरक्षित करने का संकल्प लें।
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