International Day of the Celebration of the Solstice 2025 In Hindi : हर साल 21 जून को ‘अंतर्राष्ट्रीय संक्रांति उत्सव’(International Day of the Celebration of the Solstice 2025) दिवस मनाया जाता है। ये दिन कोई आम तारीख नहीं है, बल्कि वर्ष का सबसे लंबा दिन होता है, खासकर उत्तरी गोलार्ध में रहने वालों के लिए। इस दिन सूरज आकाश में सबसे ऊंचे स्थान पर पहुंचता है, और दिन का उजाला सबसे ज्यादा देर तक बना रहता है। इसे ही ग्रीष्म संक्रांति कहते हैं। ये दिन न सिर्फ खगोलशास्त्र के लिहाज से खास है, बल्कि दुनिया के कई हिस्सों में इसे प्राकृतिक बदलाव और रोशनी के उत्सव के तौर पर भी मनाया जाता है।
‘अंतर्राष्ट्रीय संक्रांति उत्सव’ का ऐतिहासिक महत्व
संक्रांति यानी जब सूरज अपने रास्ते में एक ख़ास मोड़ पर आता है, लेकिन ग्रीष्म संक्रांति, यानी साल का सबसे लंबा दिन, हज़ारों सालों से इंसानों के लिए खास रहा है। प्राचीन सभ्यताओं में इस दिन को नई शुरुआत, फसल के मौसम और आध्यात्मिक ऊर्जा से जोड़ा जाता था। मिस्र, माया, ड्रुइड और हिंदू सभ्यताओं में इसे लेकर अलग-अलग परंपराएं रही हैं, जैसे इंग्लैंड का स्टोनहेज, जिसे कुछ लोग संक्रांति के हिसाब से डिज़ाइन किया गया एक रहस्यमयी ढांचा मानते हैं। वहीं भारत में भी इस समय सूर्य की उपासना, योग और ध्यान से जुड़ी गतिविधियां होती हैं।
‘अंतर्राष्ट्रीय संक्रांति उत्सव’ मनाने की शुरुआत कैसे हुई ?
हर साल 21 जून को मनाया जाता है। लेकिन सवाल ये है, कि इसे क्यों मनाया जाता है और इसका मतलब क्या है इस दिन को मनाने का मकसद है कि संक्रांति और विषुव जैसे खगोलीय घटनाओं के बारे में लोगों को जागरूक किया जाए और ये भी समझाया जाए कि कैसे ये घटनाएं दुनियाभर की संस्कृतियों, धर्मों और परंपराओं में एक खास जगह रखती हैं। संक्रांति सिर्फ एक वैज्ञानिक घटना नहीं है, बल्कि कई जातीय और धार्मिक परंपराओं में इसे शुभ और बदलाव का प्रतीक माना जाता है। इसी सोच को देखते हुए, संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 20 जून 2019 को संकल्प संख्या A/RES/73/300 पारित किया, और इसी के तहत 21 जून को ‘अंतर्राष्ट्रीय संक्रांति उत्सव’(International Day of the Celebration of the Solstice 2025) दिवस के रूप में मनाने का ऐलान किया गया। इस पहल के ज़रिए दुनिया को एक साझा मंच मिला है, जहां हम प्रकृति, संस्कृति और विविधता को एक साथ सेलिब्रेट कर सकते हैं।
‘अंतर्राष्ट्रीय संक्रांति उत्सव’ का उद्देश्य
हर साल 21 जून को मनाया जाने वाला ‘अंतर्राष्ट्रीय संक्रांति उत्सव’(International Day of the Celebration of the Solstice 2025) दिवस सिर्फ एक खगोलीय घटना को याद करने का मौका नहीं है। इसका असली उद्देश्य है, लोगों को संक्रांति और विषुव जैसे नेचुरल साइकल्स के बारे में जागरूक करना और ये बताना कि कैसे ये घटनाएं दुनियाभर की संस्कृतियों और परंपराओं का हिस्सा रही हैं। इस दिन का एक और खास पहलू है शांति और भाईचारे को बढ़ावा देना। जब लोग एक-दूसरे की संस्कृति और परंपराओं को समझते हैं, तो उनके बीच अपनेपन की भावना बढ़ती है। यही इस दिन का असली संदेश है। थोड़ा विस्तार से समझें तो, इस दिन का उद्देश्य है, लोगों को संक्रांति और विषुव जैसे खगोलीय बदलावों के बारे में समझाना। ये वो पल होते हैं, जब दिन-रात के संतुलन या सूरज की स्थिति में खास परिवर्तन होता है। ये दिन दुनिया की संस्कृति और परंपराओं को सेलिब्रेट करने का मौका भी देता है। चाहे वो भारत की सूर्य पूजा हो या यूरोप का मिडसमर फेस्टिवल ये सभी दिखाते हैं, कि इंसान सदियों से प्रकृति से जुड़ा रहा है।
कैसे मनाते हैं ‘अंतर्राष्ट्रीय संक्रांति उत्सव’ ?
आज भी कई देशों में 21 जून को खास अंदाज़ में मनाया जाता है। स्कैंडिनेवियन देशों में लोग इसे मिडसमर के रूप में मनाते हैं, जिसमें लोग बाहर इकट्ठा होकर नाचते-गाते हैं और खाने-पीने का उत्सव मनाते हैं। भारत में 21 जून को अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस भी मनाया जाता है, क्योंकि योग और सूर्य के रिश्ते को बहुत महत्व दिया गया है। कहीं पर लोग इस दिन कैंप फायर, संगीत और लोक नृत्य के जरिए प्रकृति का जश्न मनाते हैं, तो कहीं ये दिन शांति, ध्यान और आत्मचिंतन के लिए होता है।हर जगह भले तरीका अलग हो लेकिन उद्देश्य एक ही होता है प्रकृति से जुड़ाव और जीवन में रोशनी का स्वागत।
‘अंतर्राष्ट्रीय संक्रांति उत्सव’ का महत्व
‘अंतर्राष्ट्रीय संक्रांति उत्सव’(International Day of the Celebration of the Solstice 2025) सिर्फ खगोलीय घटनाओं को याद करने का दिन नहीं है। यह एक बहुआयामी उत्सव है जो हमें प्रकृति, संस्कृति और इंसानियत तीनों से जोड़ता है। इस दिन का उद्देश्य सिर्फ सूरज की चाल समझना नहीं, बल्कि यह भी दिखाना है, कि दुनिया भर की संस्कृतियां अपने-अपने तरीकों से प्रकृति का सम्मान करती हैं। ये दिन सामाजिक रिश्तों को भी मजबूत करता है। लोग सामूहिक आयोजन करते हैं, साथ मिलकर सेलिब्रेट करते हैं, जिससे एक कम्युनिटी भावना पैदा होती है। इसके साथ ही, ये पर्व हमें शांति, आपसी सम्मान और अच्छे पड़ोसी जैसे मूल्यों की याद दिलाता है, जो किसी भी समाज के लिए ज़रूरी हैं। साथ ही यह दिन लोगों के बीच सामाजिक रिश्ते मजबूत करने और शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व को बढ़ावा देने का भी मौका देता है। इस तरह, संक्रांति उत्सव एक ऐसा मंच बनता है जहां विज्ञान, परंपरा और मानवता सब एक साथ आते हैं।