World Hearing Day 2025 In Hindi : आज के समय में ध्वनि प्रदूषण इतना ज्यादा बढ़ गया है कि लोग अपने घर पर भी शांति से नहीं बैठ सकते। इसके अलावा लोग मोबाइल फोन का इस्तेमाल, हाई डेंसिटी म्यूजिक का इस्तेमाल भी करते हैं, जो हमारे कानों के लिए हानिकारक हो सकता है। देखा जाए तो हमारी रोजमर्रा की ज़िंदगी में कई चीजें हमारी सुनने की क्षमता को प्रभावित कर सकती हैं।
इसी वजह से हर साल 3 मार्च को ‘विश्व श्रवण दिवस’ (World Hearing Day) मनाया जाता है, ताकि लोग कानों की सेहत और बहरेपन की समस्या को लेकर जागरूक हो सकें। आज के समय में बढ़ती बीमारियों के साथ हमारे शरीर के हर अंग को स्वस्थ रखना जरुरी हो गया है, जिसमें से हमारे कान भी एक हैं। हमारी सुनने की क्षमता हमारे जीने के लिए बेहद जरुरी है।
ऐसे में बेहद जरुरी है की लोग अपने कानों की सेहत का पूरी तरह से ध्यान रखें। तो आज इस आर्टिकल में हम आपको बताने वाले हैं ‘विश्व श्रवण दिवस’ (World Hearing Day 2025) के इतिहास, महत्व और थीम के बारे में सारी डिटेल्स –

Why World Hearing Day Is Celebrated?
इस दिन विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) अलग-अलग अभियान चलाकर लोगों को सुनने की समस्या और उसके बचाव के तरीकों के बारे में बताता है। इस दौरान कई शिक्षात्मक कार्यक्रम और जागरूकता कैंपेन आयोजित किए जाते हैं, ताकि लोग समय रहते अपनी श्रवण क्षमता का ख्याल रख सकें और बहरेपन से बचाव कर सकें।
World Hearing Day History
आपको बता दें कि WHO ने साल 2007 में ‘विश्व श्रवण दिवस’ की शुरुआत की थी। सबसे पहले इसे “इंटरनेशनल ईयर केयर डे” कहा जाता था, लेकिन साल 2016 में इसका नाम बदलकर ‘वर्ल्ड हियरिंग डे’ यानी ‘विश्व श्रवण दिवस’ कर दिया गया। तभी से हर साल 3 मार्च को वैश्विक स्तर पर ‘विश्व श्रवण दिवस’ (World Hearing Day 2025) को धूमधाम से मनाया जाता है, ताकि लोगों को कानों के स्वास्थ्य और बहरेपन की समस्या को लेकर जागरुक किया जा सके।
World Hearing Day Importance
दरअसल, आज के समय में लोगों के बीच बहरेपन की समस्या दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही है और वर्तमान में यह एक गंभीर स्वास्थ्य समस्या बन चुकी है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, दुनिया में करीब 1.5 अरब लोग किसी न किसी रूप में बहरेपन की समस्या से जूझ रहे हैं।
यहां तक कि भारत में भी इसकी स्थिति चिंताजनक है, जहां करीब 6.5 करोड़ लोग सुनने में परेशानी का सामना कर रहे हैं। हालांकि इन सबमें सबसे बड़ी समस्या यह है कि इलाज में देरी के कारण कई लोग डिप्रेशन और मानसिक तनाव जैसी गंभीर बीमारियों का शिकार हो जाते हैं। इसलिए कानों की सेहत का ध्यान रखना बेहद जरूरी है।

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World Hearing Day 2025 Theme
आपको बता दें कि हर साल ‘विश्व श्रवण दिवस’ (World Hearing Day 2025) को एक खास थीम के साथ सेलिब्रेट किया जाता है, जिसका मुख्य उद्देश्य ज्यादा से ज्यादा लोगों में इसे लेकर जागरुकता फैलाना होता है। ऐसे में साल 2025 के लिए ‘विश्व श्रवण दिवस’ की थीम है – “मानसिकता बदलना: कान और श्रवण देखभाल को सभी के लिए एक वास्तविकता बनाने के लिए खुद को सशक्त बनाना!” (“Changing Mindsets: Empowering Ourselves to Make Ear and Hearing Care a Reality for All!”)।
कानों की सुनने की क्षमता कम होने के कारण
1. बढ़ती उम्र
जैसे-जैसे हमारी उम्र बढ़ती है, हमारी श्रवण नसें कमजोर होने लगती हैं, जिससे सुनने की क्षमता पर असर पड़ता है। 60 साल से ज्यादा उम्र के करीब 33% लोग बहरेपन की समस्या से जूझते हैं, और 74 साल की उम्र तक यह आंकड़ा 50% तक पहुंच जाता है।
2. ध्वनि प्रदूषण
ध्वनि प्रदूषण भी बहरेपन की एक बड़ी वजह है। तेज ट्रैफिक, कार के हॉर्न, लाउड म्यूजिक, और फैक्ट्री में लगातार तेज आवाजों के संपर्क में रहने वाले लोग अधिक प्रभावित होते हैं। मोबाइल पर बहुत तेज म्यूजिक सुनना भी सुनने की क्षमता को धीरे-धीरे कम कर सकता है, खासकर युवाओं में यह समस्या तेजी से बढ़ रही है।
3. सिर में चोट लगना
इसके अलावा अगर किसी हादसे में सिर या कान के पास चोट लगती है, तो इससे भी श्रवण क्षमता प्रभावित हो सकती है।
4. कान का संक्रमण
वहीं, कान में संक्रमण होने पर सूजन आ जाती है, जिससे ध्वनि सही से कान के भीतर नहीं पहुंच पाती और सुनाई देने में परेशानी होने लगती है।

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कैसे रखें अपने कानों का ध्यान?
- बहुत तेज आवाज में म्यूजिक न सुनें।
- लंबे समय तक ईयरफोन का इस्तेमाल न करें।
- ध्वनि प्रदूषण से बचने की कोशिश करें।
- अगर कान में दर्द या सुनने में दिक्कत हो, तो तुरंत डॉक्टर से सलाह लें।
गौरतलब है कि हमारी सुनने की क्षमता हमारे जीवन की एक अनमोल देन है। अगर हम इसकी सही देखभाल नहीं करेंगे, तो यह धीरे-धीरे कमजोर हो सकती है। ऐसे में ‘विश्व श्रवण दिवस’ (World Hearing Day 2025) हमें यही सिखाता है कि अपने कानों की सेहत को हल्के में ना लें और समय रहते जरूरी कदम उठाएं। इसके साथ हीं यह दिन हमें लोगों को इस बारे में जागरुक करने के लिए एक वैश्विक मंच भी प्रदान करता है।
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