Shaheed Diwas 2025| जानें भारत में 2 दिन ‘शहीद दिवस’ मनाने के पीछे की कहानी

Shaheed Diwas 2025

Shaheed Diwas 2025: भारत देश आज जिस मुकाम पर खड़ा है उसके पीछे कई सेनानियों, क्रांतिकारियों और कई शहीदों के बलिदान का कहानी है। समय-समय पर हमारे देश के बहादुर शहीदों ने अपने प्राणों की आहुति देकर भी हमारे देश के आन-बान-शान की रक्षा की है। ऐसे में इन्हीं शहीदों के बलिदान को याद करते हुए देशभर में ‘शहीद दिवस’ (Shaheed Diwas) मनाया जाता है।

हालांकि क्या आप जानते हैं कि भारत में ‘शहीद दिवस’ (Shaheed Diwas 2025) सिर्फ़ एक दिन नहीं, बल्कि दो महत्वपूर्ण तिथियों पर मनाया जाता है? इसके पीछे की कहानी भी बेहद अनोखी और यादगार है। दरअसल, भारत में 30 जनवरी को महात्मा गांधी की याद में और 23 मार्च को तीन बहादुर क्रांतिकारियों भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव के बलिदान को सम्मानित करने के लिए शहीद दिवस मनाया जाता है। ऐसे में आइए जानते हैं हमारे देश में ‘शहीद दिवस’ मनाए जाने के पीछे की कहानी –

Shaheed Diwas 2025

30 January Shaheed Diwas 2025| महात्मा गांधी की याद में

गौरतलब है कि हमारे देश के राष्ट्रपिता “महात्मा गांधी” का जन्म 2 अक्टूबर 1869 को गुजरात के पोरबंदर में हुआ था। उनका पूरा नाम मोहनदास करमचंद गांधी था। महज 13 साल की उम्र में उनकी शादी हो गई, और इसके बाद वो अपनी पढ़ाई के लिए इंग्लैंड चले गए। यहां से उन्होंने अपनी पढ़ाई पूरी की और साल 1915 में वो दक्षिण अफ्रीका से लौट।

गौरतलब है कि इस समय भारत अंग्रेजों की गुलामी में जी रहा था, जो गांधीजी से देखा नहीं गया और विदेश से लौटते हीं वो अन्य कई क्रांतिकारियों के साथ भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का हिस्सा बन गए।

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उन्होंने अहिंसा और सत्याग्रह का रास्ता अपनाते हुए भारतीयों (Shaheed Diwas 2025) को एक नई राह दिखाई और अंग्रेजों के खिलाफ डटकर खड़े रहे। चाहे खेड़ा और चंपारण में किसानों की मदद हो, साल 1920 का असहयोग आंदोलन, या फिर साल 1930 का दांडी मार्च, गांधीजी ने हर बार अंग्रेजों का सामना किया और ये साबित किया कि बिना हथियारों के भी लड़ाई जीती जा सकती है। आखिरकार गांधीजी और हजारों क्रांतिकारियों का बलिदान सफल हुआ और उन्होंने भारत को आजादी दिलाई।

Shaheed Diwas 2025

क्यों मनाया जाता है 30 जनवरी को ‘शहीद दिवस’?

15 अगस्त 1947 को हमारा देश आजाद हुआ और 30 जनवरी 1948 को नाथूराम गोडसे ने महात्मा गांधी की हत्या कर दी। ये घटना बिड़ला हाउस में उस समय हुई जब गांधीजी शाम की प्रार्थना के लिए जा रहे थे। गोडसे ने गांधीजी को देश के विभाजन का जिम्मेदार ठहराया, लेकिन उनकी सोच को कभी सही नहीं माना गया। ऐसे में इस दिन को भारत सरकार ने ‘शहीद दिवस’ (Shaheed Diwas 2025 In India) के रूप में घोषित किया।

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23 March Shaheed Diwas 2025| भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव का बलिदान

इसके अलावा हर साल 23 मार्च को भी भारत देश में ‘शहीद दिवस’ (Shaheed Diwas 2025) मनाया जाता है। इसका इतिहास 23 मार्च 1931 के ऐतिहासिक दिन से जुड़ा है। यह दिन भारत के स्वतंत्रता संग्राम के लिए बेहद खास है। इसी दिन भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव को अंग्रेजों ने फांसी दी थी। इन तीनों वीरों ने कम उम्र में ही आज़ादी की लड़ाई का नेतृत्व किया और हंसते हुए अपने प्राणों की आहुति दे दी।

उन्होंने और उनके साथियों ने देश के लिए अपने प्राण न्योछावर कर दिए। उनका रास्ता भले हीं महात्मा गांधी द्वारा दिखाए गए अहिंसा और सत्याग्रह के राह से अलग था, लेकिन उनका उद्देश्य सिर्फ और सिर्फ भारत को अंग्रेजों की गुलामी से आजाद कराना था। इन तीनों क्रांतिकारियों के इस बलिदान को याद करते हुए हर साल 23 मार्च को भी शहीद दिवस मनाया जाता है।

Shaheed Diwas 2025

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Why ‘Shaheed Diwas’ Is Important?

आपको बता दें कि ‘शहीद दिवस’ (Shaheed Diwas 2025) हमारे लिए उन महान लोगों की याद दिलाता है, जिन्होंने अपनी जान की परवाह किए बिना देश के लिए अपना सब कुछ कुर्बान कर दिया। 30 जनवरी और 23 मार्च, ये दोनों ही तिथियां हमें हमारे देश के प्रति हमारी जिम्मेदारी याद दिलाती हैं और हमें बताती हैं कि हम उनके बलिदानों को व्यर्थ न जाने दें।

How ‘Shaheed Diwas’ Is Celebrated In India?

30 जनवरी और 23 मार्च, इन दोनों हीं तिथियों को पूरे देशभर में ‘शहीद दिवस’ (Shaheed Diwas 2025) धूमधाम से मनाया जाता है। इस दिन लोग देशभक्ति के गीत गाते हैं और स्कूलों में नाटक और भाषण आयोजित किए जाते हैं। इसके साथ हीं 30 जनवरी को हर साल राजघाट पर विशेष प्रार्थनाएं आयोजित की जाती हैं, और लोग गांधीजी और अन्य शहीदों को श्रद्धांजलि देते हैं। यह दिन हमें एकता और देशभक्ति की भावना से जोड़ता है।

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