Vivek Oberoi: विवेक ओबेरॉय को हम सभी एक शानदार एक्टर के तौर पर जानते हैं, लेकिन अब उन्होंने अपनी पहचान एक सक्सेसफुल बिजनेसमैन के रूप में भी बना ली है। जहां एक तरफ कई सितारे एक्टिंग के साथ-साथ बिजनेस में भी हाथ आजमा रहे हैं, वहीं विवेक अब पूरी तरह बिजनेस की दुनिया में उतर चुके हैं।
हाल ही में एक इंटरव्यू में उन्होंने खुलासा किया कि पिछले एक साल में उनकी 12 कंपनियों ने मिलकर करीब 8500 करोड़ रुपये की फंडिंग जुटाई है। ये आंकड़ा अपने आप में बताता है कि वो सिर्फ एक्टिंग में ही नहीं, बल्कि बिजनेस में भी कितने जबरदस्त तरीके से काम कर रहे हैं।
विवेक की कंपनियां अलग-अलग सेक्टर्स में एक्टिव हैं, जिनमें टेक्नोलॉजी, हेल्थकेयर और एनवायरनमेंट से जुड़ी इनोवेटिव फर्म्स शामिल हैं। उन्होंने बताया कि वो ऐसे स्टार्टअप्स और बिजनेस आइडियाज में इन्वेस्ट कर रहे हैं जो समाज में पॉजिटिव बदलाव ला सकें।
विवेक का मानना है कि बिजनेस सिर्फ पैसा कमाने का जरिया नहीं, बल्कि एक जरिया है लोगों की जिंदगी बेहतर बनाने का। यही वजह है कि उन्होंने कई सोशल इम्पैक्ट वाले प्रोजेक्ट्स में भी इन्वेस्ट किया है।

पिता को लेकर विवेक ने कही यह बात
बता दें कि विवेक ओबेरॉय ने हाल ही में एक मीडिया इंटरव्यू के दौरान बताया कि उनके पिता सुरेश ओबेरॉय ने हमेशा से एक स्मार्ट इन्वेस्टर रहे हैं। वो जमीनों में निवेश करते थे खरीदते और बेचते रहते थे। बचपन में ही विवेक ने ये सब काफ़ी करीब से देखा और वहीं से उनका बिजनेस के प्रति झुकाव शुरू हुआ।
उन्होंने बताया कि जब वो करीब 9 या 10 साल के थे, तब उनके पापा अचानक कोई सामान लेकर आ जाते थे। एक साल परफ्यूम का सामान लाते थे, तो अगले साल इलेक्ट्रॉनिक्स। फिर वो सामान विवेक को दे देते थे और कहते थे कि जाओ, बेचो। विवेक अपने बैग में वो सामान भरते और घर-घर जाकर बेचते।
खास बात ये थी कि उनके पिता हर बार उनसे उनकी ‘खाता बुक’ यानी हिसाब किताब मांगते थे। लेकिन प्रॉफिट पूरा विवेक को मिलता था बस जो लागत थी, वो सुरेश ओबेरॉय वापस ले लेते थे। विवेक ने हंसते हुए कहा कि बचपन में ही उन्हें ये समझ आ गया था कि बिजनेस कैसे करना है और प्रॉफिट कमाना क्या होता है। और इसके पीछे उनके पापा की ये अनोखी ट्रेनिंग थी।

फिल्म इंडस्ट्री को लेकर बोलें विवेक
गैरतलब है कि विवेक ने बताया उन्हें फिल्म इंडस्ट्री में रहना और कुछ खास लोगों से मिलना अच्छा लगता था, लेकिन वहां एक बड़ी कमी थी सिस्टम में टैलेंट को सही प्लेटफॉर्म और गाइडेंस नहीं दी जाती। उनका मानना है कि सिर्फ टैलेंट को पहचानना काफी नहीं, उन्हें मौका देना और सही दिशा दिखाना भी जरूरी है, जो फिल्म इंडस्ट्री में काफी हद तक मिसिंग है।
इसके बाद उन्होंने अपने बिजनेस ग्रोथ के बारे में बात की। विवेक ने कहा कि पिछले साल उनकी सभी कंपनियों ने मिलकर 1 बिलियन डॉलर (यानि करीब 8500 करोड़ रुपये) से भी ज्यादा की फंडिंग जुटाई। हालांकि ये कोई छोटी रकम नहीं है, लेकिन उन्होंने ये सवाल उठाया कि इतना पैसा आखिर लगाया कहां जा रहा है, और उससे भविष्य की ग्रोथ को कैसे सेफ किया जा रहा है।

उन्होंने बड़े ही दिलचस्प अंदाज में कहा कि जैसे बॉलीवुड वाले इंटरनेशनल फिल्मों को कॉपी करके उनमें देसी तड़का लगाते हैं, वैसे ही बिजनेस में भी सिलिकॉन वैली की सोच और भारतीय (मारवाड़ी) माइंडसेट का कॉम्बिनेशन जरूरी है।
उनका इशारा इस तरफ था कि इनोवेशन और ट्रेडिशनल बिजनेस समझ का मेल ही असली सक्सेस का रास्ता है। वैसे बता दें कि विवेक ओबेरॉय की नेट वर्थ करीब 1200 करोड़ रुपये मानी जाती है, जो ये दिखाती है कि उन्होंने एक्टिंग से आगे निकलकर बिजनेस की दुनिया में भी जबरदस्त मुकाम हासिल किया है।